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​​​​​​​फूलों का  निर्यात कमजोर

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Fri , 08 May

सार

वर्ष 2023-24  में भारत ने केवल 19,678  टन फूलों के उत्पादों का निर्यात किया जिसका मूल्य करीब 717.83 करोड़ रुपये था..!!

janmat

विस्तार

भले ही भारत सरकार ने फूलों की खेती को शत-प्रतिशत निर्यातोन्मुख उभरता क्षेत्र घोषित किया है, लेकिन वैश्विक फूल बाजार में देश की हिस्सेदारी बहुत कम है। वर्ष 2023-24  में भारत ने केवल 19,678  टन फूलों के उत्पादों का निर्यात किया जिसका मूल्य करीब 717.83 करोड़ रुपये था।

यह फूलों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार का केवल 0.6  फीसदी है। इसके अलावा अधिकांश निर्यात में आमतौर पर गुलाब, लिली, गुलनार और गुलदाउदी शामिल होते हैं। अन्य फूलों की निर्यात क्षमता का अभी तक पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया गया है जिनमें कुछ दुर्लभ प्रकार के आर्किड और कई खास तरह के देसी फूल शामिल हैं। ऐसा ही मामला फूलों से बने मूल्यवर्धित सामानों का है जैसे कि सूखे फूल, फूल वाले सजावटी सामान, उच्च स्तरीय देसी इत्र और खास तरह के तेल। इन उत्पादों को अगर ठीक से बढ़ावा दिया जाए तो विदेश में इनके लिए अच्छा बाजार मिल सकता है।

इस बात को लेकर चिंता और गंभीर होती जा रही है क्योंकि वैश्विक फूल बाजार में भारत के एक बड़े खिलाड़ी के तौर पर उभरने का स्वभाविक फायदा है। देश के विभिन्न हिस्से में खेती से जुड़ी जलवायु परिस्थितियां भी अलग हैं जिसके कारण सभी प्रकार के फूलों के उत्पादन के जरिये पूरे वर्ष भर अंतरराष्ट्रीय मांग पूरी की जा सकती है, खासतौर पर सर्दियों के दौरान जब पारंपरिक तौर पर फूल निर्यात करने वाले देशों से आपूर्ति काफी कम हो जाती है।

साथ ही, ग्रीनहाउस में नियंत्रित वातावरण में अच्छी गुणवत्ता वाले फूल उगाना, भारत में अपेक्षाकृत रूप से आसान होने के साथ ही लागत के लिहाज से भी बेहतर है जिसके कारण भारतीय फूल अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्द्धी कीमत पर उपलब्ध हो जाते हैं। पश्चिमी देशों के विपरीत, भारत में पॉलिहाउस के लिए आमतौर पर गर्मी में कृत्रिम रूप से कूलिंग करने या सर्दी में गर्म माहौल बनाने की आवश्यकता नहीं होती है।

वर्ष 2024-25 के आर्थिक सर्वेक्षण में आकर्षक व्यवसायों में फूलों की खेती का विशेष उल्लेख है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि अनाज, दालें और तिलहन की पारंपरिक फसलों के अंतराल में फूलों के पौधों को लगाना वास्तव में कई प्रचलित फसल चक्रों की तुलना में अधिक लाभकारी है। इसमें यह पाया गया है कि हाल के वर्षों में पारंपरिक फूलों की खेती के बजाय निर्यात पर आधारित फूलों की ओर ध्यान देने से जुड़ा बड़ा बदलाव देखा गया है। 

फूलों की खेती में कुछ बड़ी बाधाएं हैं जो इसकी प्रगति को बाधित करती हैं। इनमें सबसे अहम हैं- विश्वस्तरीय फूलों की पैदावार के लिए बीज सामग्री की कमी, फूलों की कटाई के बाद उसके प्रबंधन व आपूर्ति आदि से जुड़ी समुचित व्यवस्था न होना, और निर्यात वाले फूलों के उत्पादों की विशेष जरूरत को देखते हुए एक एकीकृत कोल्ड चेन की कमी। फूलों के परिवहन और मार्केटिंग की मौजूदा व्यवस्था काफी पुरानी है और यह फूल जैसे नाजुक और कोमल उत्पादों के लिए अनुपयुक्त है।

अक्सर ताजे फूलों को बाजारों या नीलामी केंद्रों तक ले जाने के लिए टोकरियों, जूट के बोरों, साधारण डिब्बे की पैकिंग का इस्तेमाल किया जाता है या यहां तक कि अखबारों में भी लपेटा जाता है। निर्यातकों को रेफ्रिजरेटेड भंडारण और परिवहन सुविधाओं की कमी, महंगी हवाई माल भाड़ा दरों और अधिक आयात शुल्क जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, विमानन कंपनियों से यह उम्मीद की जाती है कि वे सड़ने वाले फूलों के माल की ढुलाई को प्राथमिकता दें, लेकिन वे अक्सर ऐसा नहीं करते हैं।